एचआईवी पीड़ित महिला को अस्पताल ने भर्ती नहीं किया, मौत हुई
सेहतराग टीम
कई साल पहले संजय दत्त अभिनीत फिल्म मुन्ना भाई एमबीबीएस के एक सीन में मेडिकल कॉलेज का डीन अपने नए विद्यार्थियों को सफल डॉक्टर बनने के गुर सिखाता है कि सबसे पहले उन्हें अपनी संवेदनाओं को मारने की जरूरत है। मरीज से प्यार नहीं करना उन्हें बस एक बीमार शरीर मानना है। ऐसा लगता है कि इस देश के चिकित्सा जगत में हर अस्पताल में अब ये बातें पूरी तरह अपना ली गई हैं, तभी तो मरीजों को लेकर संवेदनाएं पूरी तरह खत्म हो गई हैं।
ताजा मामला हरियाणा के रोहतक का है जहां समय पर चिकित्सा नहीं मिल पाने के कारण एचआईवी पीड़ित एक महिला की मौत हो गई है। रोहतक के स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान में एचआईवी पॉजीटिव महिला को समय पर भर्ती करने से इंकार करने के मामले को गंभीरता से लेते हुए प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं। दूसरी ओर अस्पताल प्रबंधन ने अपने ऊपर लग रहे आरोपों को बकवास करार दिया है।
सोनीपत की रहने वाली महिला की बुधवार को अस्पताल में मौत हो गई थी। इससे कुछ ही दिन पहले, जिला बाल कल्याण समिति और सामाजिक संगठनो के हस्तक्षेप के बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया था। विज ने संवाददाताओं को बताया, ‘मैंने मामले में जांच के आदेश दिए हैं। घटना की जांच की जाएगी और उसके बाद ही इस संबंध में कार्रवाई होगी।’
खबरों में कहा गया है कि महिला अस्पताल के आपातकालीन वार्ड के बाहर एचआईवी पॉजीटिव पति और दो बच्चों के साथ दस जुलाई से बैठी थी। दोनों बच्चों में से भी एक एचआईवी पॉजीटिव है। 14 जुलाई को पति की मौत हो गई थी। इसके बावजूद महिला को अगले आठ दिनों तक अस्पताल में भर्ती नहीं किया गया और वह वहीं बैठी रही। अंतत: कई संगठनों के दबाव के बाद 22 जुलाई को महिला को भर्ती किया गया। दूसरी ओर संस्थान के निदेशक नित्यानंद ने उन आरोपों को खारिज कर दिया है जिसमें यह कहा गया है कि महिला को भर्ती कराने में किसी प्रकार की देरी हुई है।
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